लेखिका, कवयित्री, छंदकार एवं समीक्षा लेखन प्रियदर्शिनी पुष्पा ‘पुष्प’ ने साहित्य के क्षेत्र में बनाई है अपनी पुख्ता पहचान

राजू बोहरा / विशेष संवाददाता, लाइव न्यूज़ दिल्ली

धनबाद झारखंड, लेखिका, कवयित्री, छंदकार एवं समीक्षा लेखन प्रियदर्शिनी पुष्पा ‘पुष्प’ आज किसी खास परिचय की मोहताज नहीं है बल्कि उन्होंने साहित्य के क्षेत्र में अपनी पुख्ता पहचान बनाई है। प्रियदर्शिनी पुष्पा जो वर्तमान में धनबाद झारखंड रहती है और मूलरूप से बरौनी बेगुसराय बिहार की रहने वाली है। शैक्षणिक योग्यता परास्नातक/(आचार्य द्वय– संस्कृत साहित्य एवं सं. व्याकरण) , बीएड. (शिक्षा शास्त्री), पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन रेडियो ब्राॅडकास्टिंग से शिक्षा प्राप्त की है. वर्तमान में एम.आर.एस.प्रा.सह.मा. सं. विद्यालय विष्णुपुर शंभुगंज बांका, बिहार में कार्यरत हैं. अंगिका भाषा भाषी के तहत अंगिका भाषा में लेखन एवं कार्यक्रम में अभिरुचि रखती है।

साहित्यिक परिचय – पुष्प की अभिलाषा एकल काव्य संग्रह प्रकाशित, चार साझा संकलन प्रकाशित, जनरामायण महाकाव्य ग्रंथ में सह रचनाकार के रूप में प्रसंग लेखन, कृष्णायण महाकाव्य ग्रंथ में सह रचनाकार के रूप में प्रसंग लेखन, शिवमहापुराण के तहत शिवायन महाकाव्य ग्रंथ में सह रचनाकार के रूप में प्रसंग लेखन, आचार्य संजीव वर्मा सलिल जी के संपादन में विश्व का प्रथम शेक्सपियरी साॅनेट के नियमानुकूल हिन्दी में प्रथम साॅनेट साझा संकलन में बतौर लेखन, २००० दोहे , एवं ५० अनन्य छंदों में 200 से ज्यादा रचनाएं अप्रकाशित, अनन्य समाचार पत्र एवं पत्रिकाओं में प्रकाशित रचना।

जनरामायण महाकाव्य ग्रंथ दो खंड में, जनरामायण अखंड काव्यार्चन, भागवत दसम स्कंध आधारित कृष्णायण महाकाव्य ग्रंथ ७५० पृष्ठ की पुस्तक का सह संपादन के अलावा काव्य वाटिका के बीस साझा संकलनों में भूमिका लेखन कर चुकी हैं।

साहित्यिक कार्यों के साथ मंचीय कार्यक्रम में भी ये बढ़चढ़ कर अपना योगदान देती रही हैं, इन्हें कई सम्मान से नवाजा गया है जिसमे जनरामायण अखंड काव्यार्चन के तहत गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड बैनर ऑफ साहित्योदय, इंटरनेशनल बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में जनरामायण के तहत प्रमाण पत्र एवं मैडल, कृष्णायण अखंड काव्यार्चन के तहत लंदन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज, कृष्णायण लेखन के सम्मान में साध्वी ऋतंभरा दीदी के द्वारा सम्मानित, वर्ल्ड ग्रेटेस्ट रिकॉर्ड में नाम दर्ज, छंदबद्ध भारत का संविधान में स्वप्रसंग लेखन एवं गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दोबारा नाम दर्ज, बिलासा छंद महालय के तहत प्रथम नवरत्न से नामित,

अखिल भारतीय काव्यमंच छंद: शाला संस्था के द्वारा छांदस सृजन साहित्य में ऋषि पिंगल काव्य साधना पुरस्कार से सम्मानित, साहित्य सेवा में अग्रणी भूमिका के लिए साहित्योदय सम्मान, पूर्वोदय साहित्यिक संस्थान सम्मान, ब्रेनवेयर युनिवर्सिटी कोलकाता के द्वारा सेमिनार सम्मान, राष्ट्रीय कवि संगम संस्थान सम्मान, संस्था एक प्रयास भारत, खनन विभाग , सी एम आर आई एवं सीएफ आर आई दुर्गापुर के माध्यम से कविसम्मेलन इत्यादि में कवि सम्मेलन में हिस्सा इत्यादि, विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ से विद्या वाचस्पति का मानद सम्मान तथा अन्य मंचों पर कार्यक्रम जारी है।

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