: देश की एकता, अखंडता ,उत्थान, और सशक्तिकरण के लिए राष्ट्रीय परशुराम सेना का गठन
लाइव न्यूज़ / संवाददाता दिल्ली
आदिकाल से ही सामाजिक समरसता को बनाए रखने,शिक्षा का प्रचार प्रसार एवम समाज के दबे कुचले लोगों को मुख्यधारा से जोड़ने एवम उन्हे आगे बढाने में ब्राह्मणों का योगदान रहा है। आज के सामाजिक ह्रास को देखते हुए देश के कुछ विचारवान प्रबुद्ध लोगों ने महर्षि परशुराम के नाम पर राष्ट्रीय परशुराम सेना का गठन किया गया है । प्रसिद्ध समाजसेवी एवं मानवतावादी
श्री भौमिक जोशी जी को राष्ट्रीय परशुराम सेना के दिल्ली प्रदेश का अध्यक्ष एवं एन.सी.आर के प्रभारी के रूप में नियुक्त किया गया है। यह नियुक्ति ब्राह्मण समाज के उत्थान, एकता और सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
श्री भौमिक जोशी जी का समर्पण और दूरदर्शिता समाज के हर वर्ग, विशेष रूप से युवाओं और महिलाओं के सशक्तिकरण के प्रति समर्पित है। उनका नेतृत्व ब्राह्मण समाज की एकता को सुदृढ़ करेगा और नई पीढ़ी को सही दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करेगा।
एक मुलाकात में यह पूछे जानेपर कि ब्राह्मणों के सशक्तिकरण का क्या उद्देश्य है उन्होंने बताया कि समाज में
युवा शक्ति का जागरण, महिलाओं का सशक्तिकरण और ब्राह्मण समाज का उत्थान आवश्यक है क्योंकि इनमे कर्तव्य निष्ठा और समर्पण का भाव अधिक होता है। भौमिक ने कहा कि हमारा मानना है कि युवा शक्ति समाज की नींव है। उनके सशक्तिकरण के बिना समाज का विकास संभव नहीं।
राष्ट्रीय परशुराम सेना के युवाओं में अब राष्ट्रीय परशुराम सेना से लोग जुड़ने लगे हैं। गंगा नगर से हेमंत जी जिला अध्यक्ष चुने गए है।
आज के ब्राह्मणों की वास्तविक स्थिति के बारे में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के ट्वीट का हवाला देते हुए भौमिक ने कहा कि श्री गडकरी ने ट्वीट किया है कि आज के दौर में असली दलित ब्राह्मण हैं। अपनी बात को पुख्ता करने के लिए उन्होंने फ्रेंच पत्रकार फ्रांसिस गुइटर की रिपोर्ट भी शेयर की है, जिसके मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं।
दिल्ली में 50 सुलभ शौचालयों में करीब 325 सफाई कर्मचारी हैं। ये सभी ब्राह्मण वर्ग से हैं।
दिल्ली और मुंबई में 50% रिक्शा चालक ब्राह्मण हैं। इनमें से ज्यादातर पूर्वांचल और बिहार के ब्राह्मण हैं।
दक्षिण भारत में कुछ जगहों पर ब्राह्मणों की स्थिति अछूतों जैसी है।
मुसलमानों के बाद भारत में ब्राह्मणों की प्रति व्यक्ति आय सबसे कम है।
ब्राह्मण भारत में दूसरा सबसे बड़ा कृषक समुदाय है। लेकिन उनके पास खेती के जो साधन हैं, वे 40 साल पीछे हैं।
ब्राह्मण छात्रों में “ड्रॉप आउट” यानी पढ़ाई अधूरी छोड़ने की दर अब भारत में सबसे ज़्यादा है।
बेरोज़गारी की दर भी ब्राह्मणों में सबसे ज़्यादा है। समय पर नौकरी/रोज़गार न मिलने के कारण हर दशक में 14% ब्राह्मण वैवाहिक सुख से वंचित रह जाते हैं।
ब्राह्मण युवाओं में रोजगार की कमी और संपत्ति की कमी के कारण ज्यादातर ब्राह्मण लड़कियां दूसरी जातियों में अरेंज मैरिज कर रही है। सोशल मीडिया पर दिन-रात ब्राह्मणों के खिलाफ गलत बातें लिखकर और उनका ब्रेनवॉश करके नई पीढ़ी के दिमाग में ब्राह्मणों के प्रति अंधी नफरत पैदा करके भरा जा रहा है।
हमारी कोशिश है कि हम लोगों के बीच ऐसा कार्य करें जिससे ब्राह्मण समाज के प्रति उनका भ्रम टूटे।महर्षि परशुराम द्वारा किए गए कार्यों से प्रेरणा मिलेगी और वे अपना कर्तव्य करने में सक्षम होंगे।