सरन शब्द-गुंजन की काव्य गोष्ठी एवं सम्मान समारोह संपन्न हुआ

राजू बोहरा / विशेष संवाददाता, लाइव न्यूज़ दिल्ली 

गाज़ियाबाद। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सविता चड्ढा की अध्यक्षता में सरन शब्द-गुंजन संस्था की काव्य-गोष्ठी एवं सम्मान समारोह का आयोजन भव्यता के साथ ट्रू मीडिया कार्यालय में संपन्न हुआ। मुख्य अतिथि के रूप में साहित्य प्रेमी एवं प्रकाशक श्री अशोक गुप्ता, जबकि वरिष्ठ साहित्यकार एवं समाजसेवी डॉ. कविता मल्होत्रा एवं श्री गजेंद्र पाल सिंह सरन ने विशिष्ट अतिथि के रूप में कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की।माँ शारदे के समक्ष सभी अतिथियों के कर कमलों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर सरस्वती वंदना के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। सरस्वती वंदना श्रीमती बबली सिन्हा वान्या द्वारा प्रस्तुत की गई। उसके पश्चात् सभी अतिथियों डॉ. सविता चड्ढा, श्री अशोक गुप्ता, डॉ. कविता मल्होत्रा, श्री गजेंद्र पाल सिंह सरन, कार्यक्रम के आयोजक एवं संस्था के अध्यक्ष श्री विकास अग्रवाल, ट्रू मीडिया के संस्थापक एवं सरन शब्द-गुंजन के संरक्षक डॉ. ओमप्रकाश प्रजापति तथा मंच संचालक श्रीमती लक्ष्मी अग्रवाल को पुष्पहार, अंगवस्त्र, श्रीफल तथा हिंदी गौरव सम्मान 2023 से सम्मानित किया गया। मंचासीन अतिथियों के सम्मान के पश्चात सरन शब्द-गुंजन के अन्य पदाधिकारियों- संस्थापिका श्रीमती सुधा रानी, उपाध्यक्ष श्रीमती गीतांजलि अरोरा ‘गीत’, सह सचिव पूजा श्रीवास्तव, कोषाध्यक्ष श्री पांडव मुखर्जी , मीडिया सचिव श्री अशोक कुमार तथा सक्रिय सदस्यों के रूप में श्री आर सी यादव एवं श्रीमती बबली सिन्हा वान्या को भी पुष्पहार, अंगवस्त्र तथा हिंदी गौरव सम्मान 2023 से सम्मानित किया गया। मुख्य अतिथि डॉ. सविता चड्ढा ने अपने उद्बोधन में कहा कि सरन शब्द-गुंजन तीन पीढ़ियों को साथ में लेकर चलने का सराहनीय प्रयास है। संस्था के अध्यक्ष एवं संस्थापक ने जिस सोच के साथ इस संस्था नामकरण किया, वह वाकई काबिले-तारीफ है।

संस्था की संस्थापिका श्रीमती सुधा रानी जी भी आज हम सबके बीच मौजूद हैं, यह इस कार्यक्रम की सफलता का प्रतीक है। बड़ों के आशीर्वाद के बिना किसी कार्य को नहीं साधा जा सकता। साथ ही उन्होंने संस्था की उन्नति हेतु स्नेहाशीष एवं स्वयं के द्वारा भरपूर सहयोग देने की भी बात कही। मुख्य अतिथि श्री अशोक गुप्ता ने अपने उद्बोधन में कहा कि वे भी समाज एवं साहित्य की सेवा में संलग्न रहते हैं। यदि कभी भी किसी को उनसे या उनकी संस्था से सहयोग की दरकार हो तो तो वे सदैव तन-मन-धन से तैयार हैं। विशिष्ट अतिथि डॉ. कविता मल्होत्रा ने संस्था के इस प्रयास की भूरी-भूरी प्रशंसा की तथा सरन शब्द-गुंजन की भावी पीढ़ी गुंजन के लिए काव्यमयी प्रस्तुति दी। अपनी प्रस्तुति में गुंजन और माधव के बीच उन्होंने जो संवाद रचा, वह सच में अद्भुत था। साथ ही विशिष्ट अतिथि श्री गजेंद्रपाल सिंह सरन ने भी काव्यमयी अभिवयक्ति द्वारा संस्था से जुड़े लोगों को अपना आशीर्वाद दिया। संस्था की संस्थापिका श्रीमती सुधा रानी ने कार्यक्रम में पधारे सभी गणमान्य अतिथियों का धन्यवाद देते हुए कहा कि सरन शब्द-गुंजन मात्र साहित्य एवं समाज को समर्पित एक संस्था नहीं है, अपितु एक सपना है, एक उम्मीद है, कई रिश्तों की डोर है। इस संस्था के द्वारा हम सभी साल में एक बार नहीं अपितु समय-समय पर विभिन्न गतिविधियों का आयोजन करके हिंदी भाषा को जन-जन तक पहुँचाने का प्रयास करेंगे।

सरन शब्द गुंजन के संरक्षक डॉ. ओमप्रकाश प्रजापति ने संस्था के नामकरण पर प्रकाश डालते हुए बताया कि सरन से अभिप्राय आत्मिर्भरता से है। अपने नाम के अनुरूप ही भूकन सरन अग्रवाल जी आत्मनिर्भर व्यक्तित्व थे। साथ ही साथ आत्मनिर्भर एवं प्रतिभा संपन्न व्यक्तित्व उन्हें बहुत आकर्षित करता था। वे हमेशा रचनात्मक लोगों को देखकर प्रसन्न होते थे, फिर वो चाहे उनके अपने हों या पराए। उनकी इसी सोच को उनके मरणोपरांत भी जीवित रखने के लिए ही सरन शब्द-गुंजन संस्था का निर्माण किया गया है। सरन शब्द-गुंजन का अगला अक्षर है शब्द, जो कि साहित्य रचना के लिए सबसे आवश्यक है। सरन शब्द-गुंजन का अंतिम परंतु सबसे महत्त्वपूर्ण शब्द है गुंजन। गुंजन जो कि नई पीढ़ी है, अपने दादाजी के सपनों की धुरी है गुंजन। इस तरह सरन शब्द-गुंजन मात्र नाम या संस्था नहीं, एक दूरगामी सोच है। सपनों की उड़ान है। संस्था के अध्यक्ष श्री विकास अग्रवाल जी ने कहा कि सरन शब्द-गुंजन मात्र एक संस्था ही नहीं अपितु मेरे पिताजी (भूकन सरन अग्रवाल जी ) के सपनों का जीवंत रूप है। आज यदि पिताजी जीवित होते तो इन प्रयासों को देखकर ख़ुशी से फूले न समाते। खैर, वे जहाँ भी होंगे वहीं से हमारे इस राष्ट्रहित में समर्पित कार्य के लिए अपना नेह एवं आशीष प्रदान कर रहे होंगे। साथ ही साथ उन्होंने बताया कि सरन शब्द-गुंजन संस्था की गुंजन वही आगे की पीढ़ी है, जिसे हम अपनी मातृभाषा का आदर करना सिखाना चाहते हैं। समाज तो दूर की बात यदि मैं अपनी पुत्री गुंजन में ही अपने देश के संस्कार और अपनी मातृभाषा से प्रेम के बीज अंकुरित कर पाया तो इस संस्था के निर्माण का उद्देश्य पूरा हो जाएगा।

श्रीमती गीतांजलि अरोरा ‘गीत ने कहा कि संस्था की उपाध्यक्ष होने के नाते संस्था के विकास हेतु वे हर संभव सहयोग एवं प्रयास करेंगी। श्रीमती पूजा श्रीवास्तव ने संस्था के सह सचिव चुने जाने के लिए धन्यवाद व्यक्त करते हुए यथा संभव सहयोग देने की बात कही। श्री आर सी यादव ने भी सक्रिय सदस्य चुने जाने के लिए संस्था का धन्यवाद किया साथ ही साथ अन्य सदस्य बबली सिन्हा वान्या ने कहा कि यह संस्था परिवार की तरह है और यहाँ उनका दिल से जुड़ाव है। ऐसे में संस्था के विकास एवं उन्नति हेतु अपना सहयोग देने से वे कभी पीछे नहीं हटेंगी।  अतिथियों के उद्बोधन के पश्चात काव्यगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें सभी कवि-कवयित्रियों ने अपने भावों की रसधार से सबको सराबोर कर दिया। कार्यक्रम अंत में सभी कवि-कवयित्रियों एवं संस्था से जुड़े गणमान्य व्यक्तियों श्री प्रवल प्रताप सिंह राणा “प्रवल” , श्री मनोज कामदेव, श्रीमती शांत्वना सिंह शुक्ला, श्रीमती अर्चना झा, डॉ. अवधेश तिवारी “भावुक”, श्रीमती संध्या सेठ, श्री देवेंद्र शर्मा ‘देव’, श्रीमती भूपिंदर कौर सचदेवा, श्री जय सिंह मान, श्रीमती ऋतु अग्रवाल, श्रीमती संगीता वर्मा, श्री राम प्रसाद दुबे ‘राम’, सुश्री ज़ोया खान, श्री प्रणव मल्होत्रा, श्री अमरनाथ अग्रवाल , श्रीमती राधा अग्रवाल, श्री अनमोल अग्रवाल, श्रीमती निधि अग्रवाल, श्री विनोद गंगावासी को पुष्पहार, अंगवस्त्र तथा हिंदी गौरव सम्मान 2023 से सम्मानित किया गया।

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