पहाड़ी ग्रामीण क्षेत्रों में जनप्रतिनिधियों के लिए विकास कार्य करना काफी चुनौतीपूर्ण होता है : सूरज सिंह महर

राजू बोहरा / विशेष संवाददाता, लाइव न्यूज़ चम्पावत
उत्तराखंड के पहाड़ी ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्य करना जनप्रतिनिधियों, खासकर ग्राम प्रधानों के लिए कई चुनौतियों से भरा कार्य होता है। इन चुनौतियों को समझने के लिए के हमें उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों की भौगोलिक स्थिति और ग्रामीण क्षेत्रों की जनता की आवश्यकताओं को ध्यान में रखना पड़ता है। यह कहना है चम्पावत जिले के सीमांत तल्लादेश के हरम ग्रामसभा के नवनिर्वाचित ग्राम प्रधान सूरज सिंह महर का। सूरज सिंह महर एक युवा राजनेता है और पहली बार ग्राम प्रधान निर्वाचित हुए है, लेकिन वह काफी समय से बतौर एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में लोगो के लिए निरंतर कार्य करते आ रहे है।

हसमुख, मिलनसार स्वाभाव के शिक्षित और कर्मठ नवनिर्वाचित ग्राम प्रधान सूरज सिंह महर की हरम ग्रामसभा के हरम गांव पंचायत के अन्तर्गत चार गांव हरम, ठुलाकोट, भुलागाॅव व ल्वार्की आते है। मुझे हाल ही में अपनी गांव की यात्रा के दौरान एक खास बातचीत में सूरज सिंह महर ने बताया की यहा हमारी ग्रामसभा में लगभग चार 400 बोटर है और हमारे गॉवो मे शिक्षा, स्वास्थ्य व स्वरोजगार पर अधिक से अधिक ध्यान देने की जरूरत है। हम भी इन्ही सभी विकास कार्यो पर ज्यादा ध्यान देंगे। यहां की एक मुख्य समस्या पलायन की है इस लिए हमें रिवर्स पलायन पर ज्यादा काम करने की जरूरत है। साथ ही गुरूगोरखनाथ धाम व माता रणकोची मंदिर मे प्रर्यटक को बढावा देकर स्वरोजगार के अच्छे अवसर मिल सकते है।
कुछ हमारे गांव जैसे भुलागाॅव व ल्वार्की अभी तक सड़क से नहीं जुड़ पाये है इनको शीघ्र ही सड़क से जोड़ा जायेगा। अच्छी बात यह है की हरम से ल्वार्की के लिए 2.5 किलोमीटर की सड़क को मंजूरी भी मिल गई है। उत्तराखंड के पहाड़ी ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्य करना वास्तव में चुनौतीपूर्ण है क्योकि हमारे पहाड़ी क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं से विकास कार्य रुकावट आती है पर मेरा मानना है की सामूहिक प्रयासों और सरकारी सहायता से इन चुनौतियों का सामना किया जा सकता है और ग्रामीण क्षेत्रों का विकास भी सुनिश्चित किया जा सकता है।


