सुरेन्द्र सिंह रावत की पुस्तक ‘151 गुलाब के फूल, 151 पलाश के फूल’ का हिंदी भवन में भव्य लोकार्पण हुआ

राजू बोहरा / विशेष संवाददाता, लाइव न्यूज़ दिल्ली

नई दिल्ली , शनिवार 13 जनवरी को जाने माने कवि और दोहाकार सुरेन्द्र सिंह रावत की नवीनतम पुस्तक ‘151 गुलाब के फूल, 151 पलाश के फूल ‘ का लोकार्पण नई दिल्ली के हिंदी भवन में किया गया। लोहड़ी के अवसर पर आयोजित ये कार्यक्रम में देश के जाने माने साहित्यकार और कवियों की मौजूदगी में समपन्न हुआ। इस पुस्तक में पहली बार सुरेन्द्र रावत ने दोहों के साथ उनका अंग्रेजी अनुवाद भी प्रस्तुत किया है।

पुस्तक में लेखक ने विभिन्न विषयों पर 151 दोहो का संग्रह किया है। पुस्तक में लेखक ने हिन्दी दोहों के समकक्ष अंग्रेजी भाषा के छंदों की रचना कर, एक अभिनव प्रयोग करने का प्रयास किया है। पुस्तक में हिंदी दोहों को गुलाब के फूल तथा अंग्रेजी छंदों को पलाश के फूलों के रूप में अवतरित मान कर पुस्तक का नाम स्वत: ही ‘151 गुलाब के फूल, 151 पलाश के फूल’ उचित लगता है।

साहित्य अकादमी से बाल साहित्य के लिए सर्वोच्च पुरस्कार प्राप्त हिन्दी साहित्य के शिखर पुरुषों में गिने जाने वाले डॉ दिविक रमेश जी की अध्यक्षता में, मुख्य अतिथि प्रोफेसर राजेश कुमार, राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय संस्थान के भूतपूर्व निर्देशक, एवं विशिष्ट अतिथि डॉ लालित्य ललित , डॉ संजीव कुमार ,डॉ रनविजय राव, डॉ आशा जोशी, श्री रामअवतार बैरवा,श्री आलोक शुक्ला, डॉ मनोज कामदेव, डॉ ओम प्रकाश प्रजापति जैसे मूर्धन्य एवम नामचीन साहित्यकारों, कवियों व दोहाकारों ने ‘151 गुलाब के फूल, 151 पलाश के फूल’ का लोकार्पण समारोह को सम्पन्न किया।

पुस्तक की भूमिका – अंग्रेजी में परम आदरणीय व देश के सुप्रसिद्ध अनुवादक श्री भीष्म कुकरेती जी ने – जो शेक्सपीयर सरीखे दिग्गज साहित्यकारों को गढ़वाली भाषा में अनुवादित कर चुकें हैं – तथा हिन्दी में भूमिका देश के सुप्रसिद्ध दोहाकार व मंचों के चहेते डॉ मनोज कामदेव जी ने लिखी है। कार्यकृम का शुभारम्भ मंचासीन अतिथियों ने दीप जलाकर तथा उत्तराखण्ड की प्रसिद्ध लोक और ‘शकुन आखर’ गायिका श्रीमति किरन पंत ने अपने सुमुधर गायन से डॉ संजीव कुमार जी द्वारा रचित सरस्वती वंदना से कर सभी को हर्षित किया। तत्पश्चात लेखक व दोहाकार सुरेन्द्र सिंह रावत ने सभी अतिथियों का पुष्प गुच्छ, माला और शॉल से स्वागत किया।

इस शुभ अवसर पर देश भर में हो रहे भगवान राम के अयोध्या धाम के उद्घाटन समारोह के मद्देनजर, सभी अतिथियों को रामचरितमानस की एक प्रति देकर सम्मानित किया गया। सभी साहित्यकारों ने कवि व दोहाकार सुरेन्द्र सिंह रावत द्वारा रचित, प्रयोगात्मक, द्वि भाषीय पुस्तक – हिन्दी के दोहे तथा अंग्रेजी के वर्सिस – की भूरी भूरी प्रशंसा की। सभी वरिष्ठ साहित्यकारों ने अपने अपने सम्बोधनों में ‘151 गुलाब के फूल, 151 पलाश के फूल’ को एक बेस्ट सैलर और अभिनव प्रयास की श्रेणी की प्रस्तुती माना। पुस्तक लोकार्पण समारोह के तुरंत बाद द्वितीय सत्र में आमंत्रित लगभग 25 से अधिक कवि/कवियित्रियों ने अपनी अपनी रचनाओं से समॉ बांध दिया।

उपस्थित कवियों में सर्व श्री/सुश्री पृथ्वी सिंह केदारखण्डी, राजू पाण्डे़, भूपेन्द्र राघव, राजेश श्रीवास्तव, संदीप बिश्नोई, नीरज कुमार, राम शब्द बेनूर, मीना पाण्डेय, उषा श्रीवास्तव उषाराज, फौ़ज़िया अफ़जा़ल, शालिनी मिश्रा, पूजा श्रीवास्तव, लक्ष्मी अग्रवाल, शालिनी शर्मा, मनिषा जोशी मणि, बबली सिन्हा वान्या, नूतन नवल, अपर्णा थपलियाल, संतोष संप्रीति, सुकृति श्रीवास्तव, निधी भार्गव मानवी, सीमा सागर शर्मा, किरन पंत , रिचा जोशी सहित मंचासीन अतिथिगण ने बेहतरीन गीत, दोहे, ग़ज़ल, मुक्तक, छंद, छणिकाएँ, कविताओं आदि से पूरा माहोल साहित्य मय बना डाला।

प्रथम सत्र का बखूबी संचालन किया रिचा जोशी ने। द्वितीय सत्र का माधुर्य पूर्ण संचालन किया पूजा श्रीवास्तव व उषा श्रीवास्तव उषाराज ने। अंत में डॉ संजीव कुमार, निर्देशक इंडिया नेटबुक्स और पुस्तक के प्रकाशक ने सभी अतिथियों व कवि कवियित्रियों का कार्यकृम नें सहभाग करने व सफल बनाने के लिए आभार व धन्यवाद व्यक्त किया। कार्यकृम का आयोजन इंडिया नेटबुक्स एवं द इनक्रेडिबल पहाड़ी के तत्वाधान में किया गया।

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